सोमवार व्रत कहानी 2022 , शिव-पार्वती व्रत कहानी

सोमवार व्रत कहानी 2022 , शिव-पार्वती व्रत कहानी 


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शिवजी ने पार्वती से कहा कि मैं दुनिया का भ्रमण करने के लिए जा रहा हूं तो पार्वती ने कहा कि मैं भी आपके साथ चलूंगी इस पर शिवजी ने कहा कि आप कहां जाओगे रास्ते में भूख प्यास लग जाएगी पर पार्वती ने जिद पकड़ ली तो शिव जी पार्वती जी को लेकर नंदिया पर चढ़कर दुनिया भ्रमण पर निकले।  रास्ते में वह एक बाजार से निकल रहे थे तभी लोगों ने उन पर हंसते हुए कहा कि दोनों नदिया पर बैठ गए हैं बेचारे नंदिया को बोज्या मार है , थोड़ी दूर जाकर शिवजी नंदिया से उतर कर पार्वती को नंदी पर बिठाकर चल दिए तभी कुछ दूर जाने पर लोगों ने हंसते हुए कहा कि देखो इस जोगी को अपनी पत्नी की कितनी फिक्र है खुद पैदल चल रहा है और पत्नी को नंदिया पर बिठा रखा है थोड़ी दूर और जाने पर शिवजी ने पार्वती को नंदिया से नीचे उतार दिया और खुद नदिया पर बैठ गए कुछ ही दूर और चले थे कि लोगों ने हंसते हुए कहा कि इस बेशर्म जोगी को देखो अपनी पत्नी को तो पैदल चला रहा है और खुद नदिया पर बैठा हुआ कितना बेशर्मी है यह जोगी।

थोड़ी दूर जाने के बाद शिवजी और पार्वती जी एक पेड़ के नीचे विश्राम के लिए रुक गए शिवजी ने तकिया लगा कर सो गए तभी गांव की महिलाएं पास से ही गुजरी तो कहा कि देखो रे इस नखराले जोगी को तकिया बिना नींद ही कोनी आव ,यह कहकर महिलाये कुछ आगे ही चली थी शिवजी ने तकिया को हटा दिया और सो गए वहीं महिलाएं जब वापस आए तो देखा कि शिवजी ने तकिया को हटा दिया है तो महिलाओ ने कहा जोगी मै कितना घुसा आया है।  अपनी बात सुन कर तकिया न  हटा दियो यह कहकर महिलाये आगे चली गयी। महिलाओं के जाने के बाद शिवजी ने पार्वती से कहा कि देखा संसार का रंग रूप है पुरुषों को कहीं भी किसी बात पर जक कोनी लेण दी। 

यह कहकर शिव जी पार्वती को लेकर कैलाश पर्वत की ओर रवाना हो गए कुछ ही दूर चले थे कि पार्वती ने कहा कि मुझे तो प्यास लगी है पानी पीना है यह सुन शिव जी ने कहा  मैंने पहले ही कहा था तुम मत चलो ,अब तुम बात बात पर जिद कर रही हो। यह सुन पार्वती वहीं पर बैठ गई और कहने लगी मुझे तो यही पानी ला कर दो तभी शिव जी ने जटा खोलकर गंगा बहा दी और वही शिवजी पार्वती और नंदी ने पानी पी लिया थोड़ी ही दूर आगे चले की पार्वती ने कहा कि मुझे तो भूख लग रही है मुझे खाना खिलाओ शिव जी ने कहा यहां मै आपको खाना कहा से खिलाऊ ,पर पार्वती ने जिद पकड़ ली। 

पार्वती की जिद पर शिव जी पार्वती जी को लेकर एक बुड्ढी माई के घर में जाकर बोले अलग राम बूढ़ी माई बोली अलख राम ने के चाहे तो शिव जी ने कहा कि अलख राम ने खीर खांड का भोजन चाहे माई ,बूढ़ी माई बोली मह्रकान तो मेरी खातर ही खीर कोनी तन के खिलाऊ। यह सुन शिव जी पार्वती जी ने लेकर आगे दूसरी बुढ़िया माई के घर में जाकर बोले अलग राम बूढ़ी माई बोली अलख राम ने के चाहे तो शिव जी ने कहा कि अलख राम ने खीर खांड का भोजन चाहे माई। बूढ़ी माई शिव जी और पार्वती जी को आंगन में बिठा कर खुद बाजार से भोजन की सामग्री लाने चली । 

तभी शिव जी ने कहा बूढ़ी माई कहां जा रही हो तो बूढ़ी माई ने कहा भोजन की सामग्री लाने के लिए बाजार जा रहा हूं शिव जी ने कहा पहले अपने घर में तो देख सामग्री रखी होगी शिव जी के कहने पर बूढ़ी माई ने रसोई में जाकर देखा तो सामग्री से सभी बर्तन भरे हुए थे। 

बूढ़ी माई ने शिवजी और पार्वती के लिए खाना बनाया और एक थाली शिवजी को और एक थाली पार्वती और एक थाली नंदी के लिए परोस दी तभी शिव जी ने कहा कि तीन थाली और परोस माई , यह सुन बूढ़ी माई ने कहा की हे महाराज तीन थाली और किस के लिए परोसू तब शिवजी ने कहा एक तारा बेटा वास्ते एक थारी बहू वास्ते और एक तेरे वास्ते तभी यह सुन कर बूढी माई भाउक हो गयी और कहा महाराज बेटा बहु कीजा ही मै अकेली ही रहू। 

शिवजी ने कहा थारे पीछे तो देख तेरा बेटा बहू खड़े हैं जब बूढी माई पीछे मुड़कर देखे तो बुड्ढी माई को 16 साल का बेटा बहू गठजोड़ के साथ खड़े हैं बूढी माई बेटा बहू और शिव जी पार्वती नंदू सभी ने भोजन किया भोजन करने के बाद शिवजी और पार्वती जी नंदी के साथ कैलाश पर्वत पर चले गए। और बुड्ढी माई सारा गांव में बहू बेटा की खुशी में प्रसाद बँटायो। तो पहले वाली बूढी माई न पुछयो की आज प्रसाद किया बँटायो तो बूढी माई ने सारी बात बतादी। सब बात सुन कर पहले वाली बूढ़ी माई शिवजी को ढूंढ़ने लगी , बूढी माई को देखकर पार्वती ने कहा देखो पहले वाली बुड्ढी माई हमारे पीछे दौड़ती हुई आ रही है तब शिवजी ने कहा कि आपने तो हमें पूरे रास्ते में ही परेशान किया है। 

बूढ़ी माई पास में आकर बोली किमहाराज आपने तो मुझसे ना कुछ लिया और ना ही मुझे कुछ दिया तो शिव जी ने कहा मैंने तो किसी से भी कुछ नहीं लिया और कुछ ही नहीं दिया ,तभी बूढी माय बोली की आपने उस बुढ़िया को तो बहु बेटो और धन खूब दियो पर मन तो की कोनी दियो। शिवजी बोल्या हे बूढी माई काई तू मन थारा धन मासु आधो धन दे देसी , बूढी माए धन देने के लिए त्यार हो गयी तो शिवजी ने बूढी माई को भी खूब धन दिया। 

हे शिवजी महाराज जिस प्रकार आपने उस बूढी माई को बेटा बहू और धन दिया उसी प्रकार सभी इस कहानी के सुनता ,हुंकारा  देता ,व्रत करता और सभी के परिवार को धन दियो। 


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